अहमदाबाद। सबको पता है कि रक्षाबंधन पर बहन-भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं। लेकिन अहमदाबाद में कुछ और ही नजारा देखने को मिला। यहां बहनों ने नहीं, भाईयों ने बहनों की कलाई पर राखी बांधी। आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है।
दरअसल ये एक सामाजिक विषय को लेकर शुरू हुआ प्रयास है। जिसका मकसद कन्या-भ्रूण हत्या को लेकर पुरुषों की मानसिकता बदलना है। कन्या-भ्रूण हत्या के खिलाफ अहमदाबाद के युवा खुलकर सामने आए और रक्षाबंधन के दिन बहनों के हाथों में राखी बांधकर कन्या-भ्रूण हत्या के खिलाफ मुहिम की शुरुआत की।
बहनों ने भाइयों को राखी की भेंट में एक पर्चा दिया जिसमें पूरी दुनिया में स्त्री-पुरुष के अनुपात के बारे में जानकारी है। मालूम हो कि गुजरात में महिला की संख्या लगातार कम हो रही है। इन युवाओं की सोच है कि अगर दुनिया में महिलाएं नहीं रहीं तो वो राखी का पर्व किसके साथ मनाएंगे।
अहमदाबाद के युवा कन्या-भ्रूण हत्या के खिलाफ एकजुट होकर सामने आए हैं ताकि बाकी युवाओं की सोच में बदलाव आए। भले ही बहनों के हाथ पर राखी बांधने की ये पहल अजीब-सी लगे, लेकिन इसके पीछे छिपा संदेश बहुत ही गंभीर और महत्वपूर्ण है।
दरअसल ये एक सामाजिक विषय को लेकर शुरू हुआ प्रयास है। जिसका मकसद कन्या-भ्रूण हत्या को लेकर पुरुषों की मानसिकता बदलना है। कन्या-भ्रूण हत्या के खिलाफ अहमदाबाद के युवा खुलकर सामने आए और रक्षाबंधन के दिन बहनों के हाथों में राखी बांधकर कन्या-भ्रूण हत्या के खिलाफ मुहिम की शुरुआत की।
बहनों ने भाइयों को राखी की भेंट में एक पर्चा दिया जिसमें पूरी दुनिया में स्त्री-पुरुष के अनुपात के बारे में जानकारी है। मालूम हो कि गुजरात में महिला की संख्या लगातार कम हो रही है। इन युवाओं की सोच है कि अगर दुनिया में महिलाएं नहीं रहीं तो वो राखी का पर्व किसके साथ मनाएंगे।
अहमदाबाद के युवा कन्या-भ्रूण हत्या के खिलाफ एकजुट होकर सामने आए हैं ताकि बाकी युवाओं की सोच में बदलाव आए। भले ही बहनों के हाथ पर राखी बांधने की ये पहल अजीब-सी लगे, लेकिन इसके पीछे छिपा संदेश बहुत ही गंभीर और महत्वपूर्ण है।
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