Thursday, October 02, 2008

सत्संग के बिना जीवन नीरस : संत राजदास


फतेहाबाद(शाम सरदाना): सत्संग के बिना जीवन नीरस है, सत्संग ही जीवन में परिवर्तन लाकर मनुष्य को कल्याण मार्ग पर लाता है। सत्संग से पापियों का जीवन भी सुधर जाता है। बांके बिहारी मदिंर नहर कालोनी में अमृतोपदेश फरमाते हुए संत राजदास जी महाराज ने कहा कि श्री कृष्ण नाम सुमिरण से मन को आत्मिक संतुष्टि मिलती है। तन व मन भी शुद्ध रहते हैं, पापों का नाश होता है तथा मनुष्य असीमित आनंद की अनुभूति पाता है। राजदास जी महाराज ने कहा कि चार वेद छह शास्त्रों का सार यही है कि किसी की आत्मा को दुख न पंहुचाए। किसी की आत्मा को ठेस पंहुचाने वाला कभी सुख नही हो सकता। अगर सुखी जीवन जीना है तो ग्रंथों के बारे में बताए मार्ग का अनुसरण करना होगा। यथार्थ से जुड़ना होगा। जो व्यक्ति मनमुखी होकर मन के अनुसार चलता है व र्क्षणिक सुख की प्राप्ति के लिए गलत कर्म करने में भी परवाह नही करता, यह समझ लेना चाहिए कि परिणाम दुखदायी होगा। चतुराई से मनुष्य कोर्ट-कचहरी की सजा से तो बच सकता है लेकिन न्यायकारी परमात्मा के न्याय से नही, जहां केवल न्याय ही न्याय मिलता है। राजदास जी महाराज ने कहा कि क्षण भर के सुख के लिए आने वाले जन्मों को मत बिगाड़ों बल्कि शुभ कर्म करते रहो और सेवा सुमरण परोपकार करो।

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